हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह हिर्राहमा निर्राहीम
وَمِنْهُمْ أُمِّيُّونَ لَا يَعْلَمُونَ الْكِتَابَ إِلَّا أَمَانِيَّ وَإِنْ هُمْ إِلَّا يَظُنُّونَ वामिन्हुम उम्मीयूना ला याअलामूनल किताबा इल्ला अमानिय्या वा इन्नाहुम इल्ला याज़न्नूना (बक़रा 78)
अनुवादः और उन (यहूदियों) में कुछ जाहिल ऐसे भी हैं जो किताब (तोरात) के बारे में बेबुनियाद उम्मीदों और झूठी ख़्वाहिशों के सिवा कुछ नहीं जानते। और वे केवल भ्रम में रहते हैं।
📕 क़ुरआन की तफसीर 📕
1️⃣ यहूदी लोग अनपढ़ थे, अर्थात वे न तो पढ़ना जानते थे और न ही लिखना सीखते थे।
2️⃣ यहूदी लोग अपनी आस्मानी किताब के सार और अर्थ से अनभिज्ञ थे।
3️⃣ यहूदी लोगों ने तोरात से जुड़े अंधविश्वासों और मामलों को आसमानी किताब और ईश्वरीय आज्ञाओं के रूप में स्वीकार कर लिया था।
4️⃣ यहूदी लोगों के धार्मिक विचार मान्यताओं और अनुमानों पर आधारित थे।
5️⃣ यहूदी लोगों की निरक्षरता और तौरात के बारे में जागरूकता की कमी उन तर्कों में से थे जिनके आधार पर उनसे विश्वास की उम्मीद करना अनुचित था।
6️⃣ स्वर्गीय पुस्तकों की शिक्षा और स्वयं के शब्द झूठे और कच्चे विचारों से खाली हैं।
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📚 तफसीर राहनुमा, सूरा ए बकरा
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